इवीएम स लोकतंत्र मजबत हुआ


लोकसभा के वर्श 2014 में सम्पन्न हुए चुनावों के परिणाम की घोशणा के उपरान्त से ही मतदान कराने वाली ईवीएम पर पण शमा सवाल उठाये गयेएडवोbट परन्तु भारत के चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने 24 जनवरी 2019 को स्पश्ट कर दिया कि अब बैलेट पेपर का युग आने वाला नहीं है। ईवीएम कम्प्यूटर नियन्त्रित नहीं है। यह एक स्वतंत्र मशीन है तथा इसको इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क के


साथ जोड़ा नहीं जा सकता है। इसलिए किसी रिमोट डिवाइस से इसको हैक नहीं किया जा सकता। ईवीएम को दो सरकारी कम्पनियों ने पुख्ता सुरक्षा उपायों से लैस करते हुए निर्मित किया है। सुनील अरोड़ा की इस घोशणा से ईवीएम विरोधी राजनेताओं को झटका लगा है। बसपा की कु मायावती, कांग्रेस के राहुल गांधी आदि अनेकों नेताओं ने चुनावों में मिली पराजय का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा तथा कहा था कि वर्श 2014 में भाजपा ने ईवीएम का गलत प्रयोग कर चुनाव परिणाम अपने पक्ष में किये थे। चुनाव आयोग ने स्पश्ट कर दिया है कि ईवीएम का प्रयोग पूरी तरह सुरक्षित है। आयोग ईवीएम मशीनों की आलोचनाओं का भी सम्मान करता है। बैलेट पेपर में धांधली कर के लोकतंत्र का मजाक बनाने वाले राजनेता व बाह, बली अब परेशान घूम रहे है। ईवीएम के साथ वीवीपैट व कंट्रोल मशीन को इस तरह से निर्मित किया गया है कि इसमें किसी प्रकार की धांधली असम्भव है। चुनाव आयोग ने सार्वजनिक स्थानों पर ईवीएम के द्वारा मतदान का ट्रायल शुरु कर दिया है और जनता का कोई आदमी ईवीएम में वोट डालकर अपना परिणाम स्वयं देख सकता है। लोकतंत्र में इससे ज्यादा और क्या हो सकता कि चुनाव आयोग ईवीएम की पारदर्शिता व निश्पक्ष चुनाव को सुनिश्चित करता है।